"तोहमतें तो लगती रहीं रोज़ नई नई.....हम पर....
मगर जो सब से हसीन इलज़ाम था वो .......तेरा नाम था....
ख़ुशी तकदीरो में होनी चाहिए,
तस्वीरो में तो हर कोई खुश नज़र आता है...!!!
मगर जो सब से हसीन इलज़ाम था वो .......तेरा नाम था....
ख़ुशी तकदीरो में होनी चाहिए,
तस्वीरो में तो हर कोई खुश नज़र आता है...!!!
दर्द पर कैसे ये पहरे हो गए
सुनते सुनते लोग बहरे हो गए
जब कभी दिल से लगाया यार को
जख्म दिल के और गहरे हो गए।
सुनते सुनते लोग बहरे हो गए
जब कभी दिल से लगाया यार को
जख्म दिल के और गहरे हो गए।
मैंने .. हर रोज .. जमाने को .. रंग बदलते देखा है ....
उम्र के साथ .. जिंदगी को .. ढंग बदलते देखा है .. !!
वो .. जो चलते थे .. तो शेर के चलने का .. होता था गुमान ..
उनको भी .. पाँव उठाने के लिए .. सहारे को तरसते देखा है !!
जिनकी .. नजरों की .. चमक देख .. सहम जाते थे लोग ..
उन्ही .. नजरों को .. बरसात .. की तरह ~~ रोते देखा है .. !!
जिनके .. हाथों के .. जरा से .. इशारे से .. टूट जाते थे ..पत्थर ..
उन्ही .. हाथों को .. पत्तों की तरह .. थर थर काँपते देखा है .. !!
जिनकी आवाज़ से कभी .. बिजली के कड़कने का .. होता था भरम ..
उनके .. होठों पर भी .. जबरन .. चुप्पी का ताला .. लगा देखा है .. !!
ये जवानी .. ये ताकत .. ये दौलत ~~ सब ख़ुदा की .. इनायत है ..
इनके .. रहते हुए भी .. इंसान को ~~ बेजान हुआ देखा है ... !!
उम्र के साथ .. जिंदगी को .. ढंग बदलते देखा है .. !!
वो .. जो चलते थे .. तो शेर के चलने का .. होता था गुमान ..
उनको भी .. पाँव उठाने के लिए .. सहारे को तरसते देखा है !!
जिनकी .. नजरों की .. चमक देख .. सहम जाते थे लोग ..
उन्ही .. नजरों को .. बरसात .. की तरह ~~ रोते देखा है .. !!
जिनके .. हाथों के .. जरा से .. इशारे से .. टूट जाते थे ..पत्थर ..
उन्ही .. हाथों को .. पत्तों की तरह .. थर थर काँपते देखा है .. !!
जिनकी आवाज़ से कभी .. बिजली के कड़कने का .. होता था भरम ..
उनके .. होठों पर भी .. जबरन .. चुप्पी का ताला .. लगा देखा है .. !!
ये जवानी .. ये ताकत .. ये दौलत ~~ सब ख़ुदा की .. इनायत है ..
इनके .. रहते हुए भी .. इंसान को ~~ बेजान हुआ देखा है ... !!
रिश्ते जताने लोग मेरे घर भी आयेंगे,
फल आये है तो पेड़ पे पत्थर भी आयेंगे..
जब चल पड़े हो सफ़र को तो फिर हौसला रखो,
सहरा कहीं, कहीं पे समंदर भी आयेंगे..
कितना गरूर था उसे अपनी उड़ान पर,
उसको ख़बर न थी कि मेरे पर् भी आयेंगे..
मशहूर हो गया हूँ तो ज़ाहिर है दोस्तो,
इलज़ाम सौ तरह के मेरे सर भी आयेंगे..
थोड़ा सा अपनी चाल बदल कर चलो 'मिज़ाज',
सीधे चले तो पीठ में खंज़र भी आयेंगे
--
मुझे नफ़रत थी अपने आपसे भी,
मगर मुझको ज़माना चाहता था !
"कुछ खालीपन सा है तेरे मेरे दरमियाँ...,
मुद्दतों बाद मिलते हैं मगर कोई बात नहीं होती...!
उससे कह दो कि मेरी सज़ा कुछ कम कर दे
हम पेशे से मुज़रिम नहीं हैं बस गलती से इश्क हुआ था
रोने वाले तुझे रोने का सलीका भी नही,
अश्क पीने के लिए है या बहाने के लिए,
Best regards--
फल आये है तो पेड़ पे पत्थर भी आयेंगे..
जब चल पड़े हो सफ़र को तो फिर हौसला रखो,
सहरा कहीं, कहीं पे समंदर भी आयेंगे..
कितना गरूर था उसे अपनी उड़ान पर,
उसको ख़बर न थी कि मेरे पर् भी आयेंगे..
मशहूर हो गया हूँ तो ज़ाहिर है दोस्तो,
इलज़ाम सौ तरह के मेरे सर भी आयेंगे..
थोड़ा सा अपनी चाल बदल कर चलो 'मिज़ाज',
सीधे चले तो पीठ में खंज़र भी आयेंगे
--
मुझे नफ़रत थी अपने आपसे भी,
मगर मुझको ज़माना चाहता था !
"कुछ खालीपन सा है तेरे मेरे दरमियाँ...,
मुद्दतों बाद मिलते हैं मगर कोई बात नहीं होती...!
उससे कह दो कि मेरी सज़ा कुछ कम कर दे
हम पेशे से मुज़रिम नहीं हैं बस गलती से इश्क हुआ था
रोने वाले तुझे रोने का सलीका भी नही,
अश्क पीने के लिए है या बहाने के लिए,
Best regards--
ख़बरों में ये खौफ का बाज़ार नहीं चाहिए
खून से भीगे हुए अख़बार नही चाहिए
अब बदलनी ही पड़ेगी हिन्द कि तस्वीर
बर्बादियों के इतने आसार नही चाहिए !
भाई जो बन कर रहे,साथ बस वही रहे
गाँव गली घर में, गद्दार नही चाहिए !
भारत के तख्त पर, किसी नाहर को बिठाओ
अब लुंजपुंज सी कोई, सरकार नही चाहिए !
बन्दुक के साये में, त्यौहार नही चाहिए
खून से भीगे हुए अख़बार नही चाहिए
अब बदलनी ही पड़ेगी हिन्द कि तस्वीर
बर्बादियों के इतने आसार नही चाहिए !
भाई जो बन कर रहे,साथ बस वही रहे
गाँव गली घर में, गद्दार नही चाहिए !
भारत के तख्त पर, किसी नाहर को बिठाओ
अब लुंजपुंज सी कोई, सरकार नही चाहिए !
बन्दुक के साये में, त्यौहार नही चाहिए
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